यस्याभिमानो मोक्षेऽपि देहेऽपि ममता तथा। न च ज्ञानी न वा योगी केवलं दुःखभागसौ॥१६- १०॥
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yasyābhimāno mokṣeʼpi deheʼpi mamatā tathā, na ca jñānī na vā yogī kevalaṃ duḥkhabhāgasau
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जो मोक्ष भी चाहता है और इस शरीर में आसक्ति भी रखता है, वह न ज्ञानी है और न योगी बल्कि केवल दुःख को प्राप्त करने वाला है ॥
Hindi Translation
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One who wants liberation and is also attached to his body, is neither knowledgeable nor yogi. He just suffers.
English Translation
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