
Shani Dev Aarti
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारीसूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारीजयदेव जयदेव जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारीसूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारीजयदेव जयदेव श्याम
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारीसूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारीजयदेव जयदेव जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारीसूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारीजयदेव जयदेव श्याम
हरि ओम श्री शाकुम्भरी अंबा जी की आरती क़ीजो एसी अद्वभुत रूप हृदय धर लीजो शताक्षी दयालू की आरती किजो तुम परिपूर्ण आदि भवानी माँ,
काल की विकराल की, त्रिलोकेश्वर त्रिकाल की, भोले शिव कृपाल की, करो रे मंगल आरती, मृत्युंजय महाकाल की, करो रे मंगल आरती, मृत्युंजय महाकाल की,
ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा । त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा ॥ ॐ हर हर महादेव कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रमविपिने । गुंजति मधुकरपुंजे
ॐ जय हिंगलाज माता , मैया जय हिंगलाज माता… जो नर तुमको ध्याता, वांछित फल पाता । ॐ जय हिंगलाज माता… हीरा पन्ना मंडित, शीश
आरती कामाक्षा देवी की । जगत् उधारक सुर सेवी की ॥ आरती कामाक्षा देवी की । गावत वेद पुरान कहानी । योनिरुप तुम हो महारानी
जय केदार उदार शंकर, मन भयंकर दुख हरम्, गौरी गणपति स्कंद नंदी, श्री केदार नमाम्यहम्। शैली सुंदर अति हिमालय, शुभ मंदिर सुंदरम्, निकट मंदाकिनी सरस्वती
चलो रे साधो चलो रे सन्तो चन्दन तलाब में नहायस्याँ दर्शन ध्यों जगन्नाथ स्वामी, फेर जन्म नाही पायस्याँ || चलो रे साधो चलो रे सन्तो,
आरती उतारूँ आदिनाथ भगवान की माता मरुदेवि पिता नाभिराय लाल की रोम रोम पुलकित होता देख मूरत आपकी आरती हो बाबा, आरती हो, प्रभुजी हमसब
पारसनाथ प्रभु, पारसनाथ प्रभु हम सब उतारें थारी आरती पारसनाथ-पारसनाथ हम सब उतारे थारी आरती हो… धन्य धन्य माता वामा देवी हो देख-देख लाल को
शांतिनाथ भगवान की हम आरती उतारेंगे। आरती उतारेंगे हम आरती उतारेंगे आरती उतारेंगे हम आरती उतारेंगे शांतिाथ भगवान… हस्तिनापुर में जनम लिये हे प्रभु
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् । निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥ शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम् । वेद
ऊँ जय बृहस्पति देवा,जय बृहस्पति देवा। छिन छिन भोग लगाऊँ,कदली फल मेवा॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा॥ तुम पूर्ण परमात्मा,तुम अन्तर्यामी। जगतपिता जगदीश्वर,तुम सबके स्वामी॥ ऊँ
जय जय पितरजी महाराज,मैं शरण पड़यो हूँ थारी। शरण पड़यो हूँ थारी बाबा,शरण पड़यो हूँ थारी॥ आप ही रक्षक आप ही दाता,आप ही खेवनहारे। मैं
भुवन विराजी शारदामहिमा अपरम्पार। भक्तों के कल्याण कोधरो मात अवतार॥ मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ। x3 नित गाऊँ मैयानित गाऊँ। x2 मैया शारदा
अम्बे तू है जगदम्बे काली,जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती,ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी
जय वैष्णवी माता,मैया जय वैष्णवी माता। हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता॥ शीश पे छत्र विराजे,मूरतिया प्यारी। गंगा बहती चरनन,ज्योति जगे न्यारी॥ ब्रह्मा वेद पढ़े
जय भैरव देवा प्रभुजय भैरव देवा, सुर नर मुनि सबकरते प्रभु तुम्हरी सेवा॥ ऊँ जय भैरव देवा…॥ तुम पाप उद्धारकदु:ख सिन्धु तारक, भक्तों के सुखकारकभीषण
आरती कीजै श्री रघुवर जी की,सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की। दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन। अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,मर्यादा पुरुषोतम
जय धन्वन्तरि देवा,जय धन्वन्तरि जी देवा। जरा-रोग से पीड़ितजन-जन सुख देवा॥ जय धन्वन्तरि देवा…॥ तुम समुद्र से निकले,अमृत कलश लिए। देवासुर के संकटआकर दूर किए॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,स्वामी जय चित्रगुप्त हरे। भक्त जनों के इच्छित,फल को पूर्ण करे॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥ विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,सन्तन सुखदायी। भक्तन के प्रतिपालक,त्रिभुवन
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,तोपे चढ़े दूध की धार। तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तेरी
आरती कीजै नरसिंह कुँवर की।वेद विमल यश गाऊँ मेरे प्रभुजी॥ पहली आरती प्रह्लाद उबारे।हिरणाकुश नख उदर विदारे॥ दूसरी आरती वामन सेवा।बलि के द्वार पधारे हरि
ॐ जय नरसिंह हरे,प्रभु जय नरसिंह हरे। स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे,जन का ताप हरे॥ ॐ जय नरसिंह हरे॥ तुम हो दीन
जय पुरुषोत्तम देवा,स्वामी जय पुरुषोत्तम देवा। महिमा अमित तुम्हारी,सुर-मुनि करें सेवा॥ जय पुरुषोत्तम देवा॥ सब मासों में उत्तम,तुमको बतलाया। कृपा हुई जब हरि की,कृष्ण रूप
जय लक्ष्मीरमणा श्री जय लक्ष्मीरमणा। सत्यनारायण स्वामी जनपातक हरणा॥ जय लक्ष्मीरमणा। रत्नजड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे। नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजे॥ जय लक्ष्मीरमणा। प्रगट
हर हर हर महादेव! सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी। अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥ हर हर हर महादेव! आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी। अमल, अरूप,
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ। कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ। श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥ मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे।
गणपति की सेवा मंगल मेवा,सेवा से सब विघ्न टरैं। तीन लोक के सकल देवता,द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥ रिद्धि-सिद्धि दक्षिण
आरती गजबदन विनायक की।सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥ आरती गजबदन विनायक की।सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥ आरती गजबदन विनायक की॥ एकदन्त शशिभाल गजानन,विघ्नविनाशक शुभगुण कानन। शिवसुत वन्द्यमान-चतुरानन,दुःखविनाशक सुखदायक की॥
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता । विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।। तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति
सत सृष्टि तांडव रचयिता नटराज राज नमो नमः… हेआद्य गुरु शंकर पिता नटराज राज नमो नमः… गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्मांडना नित होत नाद
आरती श्री जगन्नाथ मंगलकारी, परसत चरणारविन्द आपदा हरी। निरखत मुखारविंद आपदा हरी, कंचन धूप ध्यान ज्योति जगमगी। अग्नि कुण्डल घृत पाव सथरी। आरती.. देवन द्वारे
ॐ जय श्री जीण माता, जय श्री जीण माता। जो ध्यावत जग झंझट, उसका कट जाता ।। ॐ जय।। रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि न्यारी।
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनन के संकट, छिन में दूर करे ।।ॐ।। जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का,
आरती कुंजबिहारी की, गिरधर कृष्ण मुरारी की। गले में बैजन्ती माला, बजाये मुरली मधुर बाला। श्रवण में कुण्डल झल काला, नन्द के आनन्द नन्द लाला।
ॐ जय जय जय गिरिराज, स्वामी जय जय जय गिरिराज। संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज॥ ॐ जय॥ इन्द्रादिक सब सुर मिल तुम्हरौं
ॐ जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी। सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी॥ ॐ जय” जमदग्नी सुत नर-सिंह, मां रेणुका जाया। मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश
जय जय श्री बगलामुखी माता. आरति करहूँ तुम्हारी॥ टेक॥ पीत वसन तन पर तव सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी॥जय-जय” कर-कमलों में मुद्गर धारै, अस्तुति करहिं
ॐ जय हनुमत वीरा स्वामी जय हनुमत वीरा, संकट मोचन स्वामी तुम हो रणधीरा॥ॐ॥ पवन-पुत्र अंजनी-सुत महिमा अति भारी, दुःख दरिद्र मिटाओ संकट सबहारी॥ॐ॥ बाल
जय महावीर प्रभो! स्वामी जय महावीर प्रभो! जगनायक सुखदायक, अति गम्भीर प्रभो॥ॐ॥ कुण्डलपुर में जन्में, त्रिशला के जाये। पिता सिद्धार्थ राजा, सुर नर हर्षाए॥ ॐ॥
जय श्री राणी सती मैया, जय जगदम्ब सती जी। अपने भक्तजनों की दूर करो विपती॥जय. अपनि अनन्तर ज्योति अखण्डित मंडित चहुँककुंभा। दुरजन दलन खडग की,
आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की। त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि। पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की।
आरती श्री रामायण जी की कीरति कलित ललित सिय-पी की गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद। बालमीक विज्ञान विशारद ।। शुक सनकादि शेष अरु शारद। बरनि पवनसुत
ॐ जय श्री रामादे स्वामी जय श्री रामादे। पिता तुम्हारे अजमल मैया मेनादे ॥ ॐ जय रूप मनोहर जिसका घोड़े असवारी। कर में सोहे भाला
भव फंद विघ्नों से उसे प्रभु विश्वकर्मा दूर कर। मोक्ष सुख देंगे अवश्य ही कष्ट विपदा चूर कर॥ प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो प्रभु विश्वकर्मा
हरि ॐ श्री शाकम्भर अम्बा जी की आरती कीजो। ऐसो अद्भुत रूप हृदय धर लीजो, शताक्षी दयालु की आरती कीजो। तुम परिपूर्ण आदि भवानी माँ,
ॐ जय श्रीश्याम हरे, प्रभु जय श्रीश्याम हरे। निज भक्तन के तुमने परण काम को। हरि ॐ जय श्रीश्याम हरे, गल पुष्पों की माला, सिर
जय जय आरती जय जय आरती वेणु गोपाला वेणु गोपाला वेणु लोला पाप विदुरा नवनीत चोरा जय जय आरती वेंकटरमणा वेंकटरमणा संकटहरणा सीता राम राधे
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी! राजेश्वरी जय नमो नम:!! करुणामयी सकल अघ हारिणी! अमृत वर्षिणी नमो नम:!! जय शरणं वरणं नमो नम: श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी…!
जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता।तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥ तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।तेरे नाम से मन की