श्री पितर आरती
जय जय पितरजी महाराज,मैं शरण पड़यो हूँ थारी। शरण पड़यो हूँ थारी बाबा,शरण पड़यो हूँ थारी॥ आप ही रक्षक आप ही दाता,आप ही खेवनहारे। मैं
जय जय पितरजी महाराज,मैं शरण पड़यो हूँ थारी। शरण पड़यो हूँ थारी बाबा,शरण पड़यो हूँ थारी॥ आप ही रक्षक आप ही दाता,आप ही खेवनहारे। मैं
भुवन विराजी शारदामहिमा अपरम्पार। भक्तों के कल्याण कोधरो मात अवतार॥ मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ। x3 नित गाऊँ मैयानित गाऊँ। x2 मैया शारदा
अम्बे तू है जगदम्बे काली,जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती,ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी
जय वैष्णवी माता,मैया जय वैष्णवी माता। हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता॥ शीश पे छत्र विराजे,मूरतिया प्यारी। गंगा बहती चरनन,ज्योति जगे न्यारी॥ ब्रह्मा वेद पढ़े
जय भैरव देवा प्रभुजय भैरव देवा, सुर नर मुनि सबकरते प्रभु तुम्हरी सेवा॥ ऊँ जय भैरव देवा…॥ तुम पाप उद्धारकदु:ख सिन्धु तारक, भक्तों के सुखकारकभीषण
आरती कीजै श्री रघुवर जी की,सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की। दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन। अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,मर्यादा पुरुषोतम
जय धन्वन्तरि देवा,जय धन्वन्तरि जी देवा। जरा-रोग से पीड़ितजन-जन सुख देवा॥ जय धन्वन्तरि देवा…॥ तुम समुद्र से निकले,अमृत कलश लिए। देवासुर के संकटआकर दूर किए॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,स्वामी जय चित्रगुप्त हरे। भक्त जनों के इच्छित,फल को पूर्ण करे॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥ विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,सन्तन सुखदायी। भक्तन के प्रतिपालक,त्रिभुवन
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,तोपे चढ़े दूध की धार। तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तेरी
आरती कीजै नरसिंह कुँवर की।वेद विमल यश गाऊँ मेरे प्रभुजी॥ पहली आरती प्रह्लाद उबारे।हिरणाकुश नख उदर विदारे॥ दूसरी आरती वामन सेवा।बलि के द्वार पधारे हरि
ॐ जय नरसिंह हरे,प्रभु जय नरसिंह हरे। स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे,जन का ताप हरे॥ ॐ जय नरसिंह हरे॥ तुम हो दीन
जय पुरुषोत्तम देवा,स्वामी जय पुरुषोत्तम देवा। महिमा अमित तुम्हारी,सुर-मुनि करें सेवा॥ जय पुरुषोत्तम देवा॥ सब मासों में उत्तम,तुमको बतलाया। कृपा हुई जब हरि की,कृष्ण रूप
लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु॥
Coded By brahma
2020 - ∞
ॐ